आइए जलते हैं - लेखनी प्रतियोगिता -27-Feb-2022
आइए जलते हैं
आइए जलते हैं
दीपक की तरह।
आइए जलते हैं
अगरबत्ती-धूप की तरह।
आइए जलते हैं
धूप में तपती धरती की
तरह।
आइए जलते हैं
सूरज सरीखे तारों की तरह।
आइए जलते हैं
अपने ही अग्नाशय की तरह।
आइए जलते हैं
रोटियों की तरह और चूल्हे की तरह।
आइए जलते हैं
पक रहे धान की तरह।
आइए जलते हैं
ठंडी रातों की लकड़ियों की
तरह।
आइए जलते हैं
माचिस की तीली की तरह।
आइए जलते हैं
ईंधन की तरह।
आइए जलते हैं
प्रयोगशाला के बर्नर की
तरह।
क्यों जलें जंगल की आग की
तरह।
जलें ना कभी खेत लहलहाते बन के।
ना जले किसी के आशियाने बन के।
नहीं जलना है ज्यों जलें अरमान
किसी के।
ना ही सुलगे दिल… अगर ज़िंदा है।
छोडो भी भई सिगरेट की तरह
जलना!
नहीं जलना है
ज्यों जलते
टायर-प्लास्टिक।
क्यों बनें जलता कूड़ा?
आइए जल के कोयले सा हो
जाते हैं
Gunjan Kamal
27-Mar-2022 12:35 AM
शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻
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Swati chourasia
27-Feb-2022 10:01 PM
Very nice 👌
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Simran Bhagat
27-Feb-2022 04:22 PM
Nyc🔥🔥
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